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आपकी रसोई आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है…जानिए कैसे

यहाँ पर आप घर के अंदर का वायु प्रदूषण (Indoor Air Pollution in Hindi) के बारे में पढ़ेंगे कि कैसे ये हमारे स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक है।

हमारे भारतीय परम्परा में रसोई का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जो न केवल वास्तु की नज़र से बल्कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी एक ख़ास स्थान रखता है।

रोज इसमें तैयार होने वाला खाना न केवल हमारे शरीर को स्वस्थ रखता है बल्कि एक साथ खाना बनाने और खाने की परम्परा परिवार के विभिन्न सदस्यों के बीच रिश्ते मज़बूत करता है।

इसी कारण भारतीय परम्परा में रसोई के क्षेत्र को भगवान का स्थान माना जाता हैं और इसे पवित्र स्थान माना जाता है।

लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा आपकी रसोई, घर का सबसे प्रदूषित क्षेत्र भी है। 

दिलचस्प है कि हम घर के बाहर के वायु प्रदूषण के बारे में चिंता तो करते हैं लेकिन घर के भीतर के वायु प्रदूषण को नज़र अन्दाज़ कर देते हैं।

भारत में, घर के भीतर वायु प्रदूषण पर कोई भी विस्तृत अध्ययन या रीसर्च न होने के कारण यहाँ पर सभी अध्ययन रिपोर्ट बाहर के देशों से ली गई है।

घरेलू वायु प्रदूषण (Indoor Air Pollution in Hindi)

पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) ने अपनी एक रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि “घर के भीतर मौजूद वायु प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों की मात्रा, बाहर की तुलना में दो से पांच गुना अधिक हो सकती है, और कभी-कभी 100 गुना अधिक भी हो सकती है”।

घर के भीतर के वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत गैस चूल्हा है, जो LPG से चलता है। रिपोर्ट के अनुसार गैस चूल्हा के कारण लाखों लोगों के घरों में इतना वायु प्रदूषण फैलता है कि अगर इसकी बाक़ायदा जाँच की जाए तो यह बाहरी प्रदूषण की तरह ही घातक होगा।

रीसर्च बताते हैं कि गैस चूल्हा से खाना पकाते समय कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, पी.एम. 2.5 और फार्मल्डिहाइड निकलती हैं(source) जो कि हमारे सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव डालती हैं।

घरेलू वायु प्रदूषण और सेहत पर असर

कॉर्बन मोनो ऑक्सायड (CO)

  • एक अदृश्य, गंधहीन गैस है जिसकी अधिक मात्रा से चक्कर आना, सिर दर्द, थकान, थोड़ी देर के लिए याददाश्त खोना यहाँ तक की मृत्यु भी हो सकती है।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार हृदय के रोगियों के लिए कॉर्बन मोनो ऑक्सायड की कम मात्रा भी उनके लिए घातक साबित हो सकती है।

नाइट्रोजन डाई ऑक्सायड (NO2)

  • नाइट्रोजन डाई ऑक्सायड (NO2) जो कि वायु प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों में सबसे जाना पहचाना नाम है और जिसका अध्ययन विस्तृत रूप से किया गया है।
  • ईपीए की रीसर्च बताती है कि NO2 की बहुत कम समय के लिए इसकी कम मात्रा भी हमारे श्वसन तंत्र के लिए समस्या बन सकती है।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार इससे बच्चों में अस्थमा हो सकता है।
  • एक अध्ययन में पाया गया कि श्वसन में लम्बे समय तक नाइट्रोजन डाई ऑक्सायड (NO2) ग्रहण करने का परिणाम हृदय सम्बन्धी रोग, डायबिटीज़, शिशुओं के जन्म लेने पर आने वाली समस्या (poorer birth outcomes), premature mortality और कैन्सर से जोड़ा है।
  • एक अध्ययन में पाया गया  नाइट्रोजन डाई ऑक्सायड (NO2) से बच्चों में दिमाग़ी क्षमता पर बुरा असर पड़ता है।

पी एम 2.5

  • अध्ययन के अनुसार इससे अस्थायी रूप से आँख, नाक, गले में जलन होती है। खांसी, छींक और ज़ुकाम और साँस लेने में दिक़्क़त होती है।
  • बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं।

फार्मल्डिहाइड

  • आँख, नाक, गले में जलन
  • थोड़ी मात्रा ही अस्थमा के लिए काफ़ी
  • लम्बे समय तक शरीर में पहुँचने पर कैन्सर का ख़तरा

इसे कम करने के उपाय

ऊपर बतायी गई जानकारी से यह स्पष्ट हो जाता है कि खाना बनाते समय गैस चूल्हे से कई प्रकार के हानिकारक प्रदूषण फैलाने वाले तत्व निकलते हैं।

इन हानिकारक तत्वों को तुरंत हटाने के लिए रसोई हवादार होनी चाहिये ताकि इनकी मात्रा या तो बहुत कम हो जाए या शून्य हो जाये।

रसोई हवादार बनाने के लिए एग्जॉस्ट फैन या किचन चिमनी इस्तेमाल किया जा सकता है।

निष्कर्ष

घर के भीतर के वायु प्रदूषण से सबसे ज़्यादा असर बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर पड़ता है इसलिए इसे कम करने या सामान्य स्तर पर रखने का प्रयास किया जाना चाहिए।

Written by Yogendra Rai

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