इस ठंड के मौसम में रूम हीटर के फायदे और नुकसान दोनों हो सकते हैं लेकिन अगर आप इन बातों का ख़्याल रखेंगे तो आप होने वाले नुक़सान से बच सकते हैं।
यहाँ आप जानेंगे:
इस कड़ाके की ठंड में रूम हीटर की गर्माहट किसी सुकून से कम नहीं होती।
लेकिन, जब भी आप इस सुकून भरे पल को इंजॉय करते होंगे तो आपके मन में ये सवाल ज़रूर उठता होगा कि क्या मेरा रूम हीटर मेरे सेहत के लिए ठीक है? क्या ये मेरी सेहत को नुक़सान पहुँचा सकता है? आख़िर मेरे रूम हीटर के क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं।
इस आर्टिकल में हम इन्हीं प्रश्नों के उत्तर तलाशेंगे।
तो…सबसे पहले हम ये जानते हैं कि बाज़ार में मौजूद तमाम तरह के रूम हीटर्स में कौन-कौन से फ़ीचर्स हैं या खूबियाँ हैं साथ ही जानेंगे कि उनमें किस तरह की ख़ामियाँ हैं और ये भी देखेंगे कि ये हमारी सेहत पर किस तरह प्रभाव या दुष्प्रभाव डालते हैं।
इंफ्रारेड हीटर्स के फायदे और नुकसान
इन्हें रेडिएंट हीटर भी कहा जाता है। इस तरह के हीटर्स, इंफ्रारेड रेडियेशन के थ्रू, आसपास की चीजों को गर्म करके, रूम के टेंप्रेचर को बढ़ाते हैं।
इंफ्रारेड हीटर्स की खूबियाँ (Pros)
- छोटे साइज के रूम को हीट करने के लिए एकदम सही होते है क्योंकि ये, छोटे साइज के रूम को जल्दी से हीट करते हैं।
- ये तुरन्त गर्माहट देते हैं और एनर्जी ऐफ़िशिएंट होते हैं।
इंफ्रारेड हीटर्स की ख़ामियाँ (Cons)
- इंफ्रारेड हीटर्स बड़े साइज के रूम को अच्छे से हीट नहीं कर पाते यानी जहां हीटर रखा होता है केवल उसी के आसपास हीटिंग देते हैं और रूम के दूसरे कोनों में हीटिंग बराबर नहीं पहुँच पाती।
- ये आँखो को नुक़सान पहुँचा सकते हैं इसलिए इनके हीटिंग एलीमेंट्स को एकटक लगातार नहीं देखना चाहिए।
फ़ैन हीटर्स के फायदे और नुकसान
इन्हें कनवेक्शन एयर ब्लोअर भी कहा जाता है। इस तरह के हीटर्स में हीटिंग एलिमेंट के साथ-साथ एक फैन भी लगा होता है जो गर्म हवा को बाहर निकालता है और कमरे की हवा को गर्म करता है।
फ़ैन हीटर्स की खूबियाँ (Pros)
- फ़ॉस्टर हीटिंग देता है।
- अगर आप PTC हीटिंग एलिमेंट वाला फ़ैन हीटर इस्तेमाल कर रहे हैं तो ये रूम में मौजूद ऑक्सीजन को बर्न नहीं करता।
- इनसे गर्म हवा बाहर निकलती हैं लिहाज़ा ये बड़े साइज़ के रूम्स के लिए एकदम सही होते हैं और रूम के सभी कोनों में बराबर हीटिंग मिलती है।
फ़ैन हीटर्स की ख़ामियाँ (Cons)
- एयर के लगातार सर्क्यूलेशन से रूम के वातावरण में मॉइस्चर(नमी) में कमी हो सकती है जिससे सेहत से जुड़ी कई समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।
- चूँकि फ़ैन हीटर्स में एक फैन लगा होता है जिसके कारण इन हीटर्स के कुछ मॉडल्स से आवाज़ भी आती है।
ऑयल फ़िल्ड हीटर्स के फायदे और नुकसान
इन हीटर्स में मेटल के खोखले कॉलम या पाइप होते हैं, जिनमें एक ख़ास तरह का ऑयल भरा होता है जो कि सील पैक होता है। ये गर्म ऑयल सभी फ़िन्स में फ़्लो होता है जिसके कारण कमरे में गर्माहट फैलती है।
ऑयल फ़िल्ड हीटर्स की खूबियाँ (Pros)
- फ़िन्स में भरा ये आयल, लंबे समय तक गर्म रहता है जिसका फ़ायदा ये होता है कि अगर हम हीटर को स्विच ऑफ भी कर दें तो, ये एक-डेढ़ घंटे तक कमरे में गर्माहट देता रहता है।
- इनके चलने से कोई आवाज़ नहीं निकलती।
- रूम के वातावरण में मॉइस्चर(नमी) में कोई कमी नहीं आती इसलिए ड्राई एयर की वजह से स्किन और साँस संबंधी कुछ दिक़्क़त नहीं आती है।
ऑयल फ़िल्ड हीटर्स की ख़ामियाँ (Cons)
- रूम को गर्म करने में ज़्यादा वक्त लगता है।
- बिजली की खपत ज़्यादा।
हेल्थ-फ्रेंडली रूम हीटर्स में कौन-कौन से फ़ीचर्स होने चाहिए
थर्मोस्टेट और टेंप्रेचर कंट्रोल
लगातार एक जैसा टेंप्रेचर बनाए रखना सुकून और सेहत दोनों के लिए ज़रूरी है। आजकल आने वाले रूम हीटर्स में थर्मोस्टेट का फ़ीचर होता है। इस फ़ीचर की मदद से आप अपने मन-मुताबिक़, रूम हीटर का टेंप्रेचर सेट कर सकते हैं जिसकी वजह से हीटर, आपके रूम में लगातार एक सी गर्माहट मैंटेन कर के रखता है।
इस फ़ीचर का एक और फ़ायदा ये है कि इससे बिजली की खपत कम होती है और बिजली का बिल कम आता है।
एयर प्योरिफ़िकेशन टेक्नोलॉजी
एक ऐसे रूम हीटर की इमेजिन करें जो न केवल आपके रूम में गर्माहट दे बल्कि रूम में मौजूद एयर को भी क्लीन करे। कुछ मॉडल एयर प्योरिफ़िकेशन टेक्नोलॉजी के साथ आते हैं, जिसमें डस्ट, एलर्जी और अन्य पार्टिकल्स को पकड़ने के लिए फिल्टर लगे होते हैं। ये फ़ीचर साँस की दिक़्क़त या एलर्जी वाले लोगों के लिए बड़े काम के साबित हो सकते है।
कम आवाज़ (Low Noise Level)
रूम हीटर की बहुत धीमी आवाज़ से शायद आपको कोई फ़र्क़ ना पड़े लेकिन ज़्यादा आवाज़, आपका सुकून छीन सकता है। हीटर ख़रीदते वक्त इसकी नॉइस लेवल पर ज़रूर विचार करना चाहिए ख़ासकर जब आप अपने बेड रूम या किसी साइलेंट जगह के लिए ले रहे हों।
सेफ्टी फ़ीचर्स
हीटर ख़रीदते वक्त सबसे ज़्यादा सेफ्टी फ़ीचर्स पर ध्यान देना चाहिए। कुछ ख़ास सेफ्टी फ़ीचर्स हैं: ओवरहीट प्रोटेक्शन और टिप-ओवर स्विच। ज़रूरत से ज़्यादा गर्म होने से ओवरहीट प्रोटेक्शन हीटर को स्विच ऑफ कर देता है। इसी तरह से हीटर के टेढ़ा होने या गिरने की स्थिति में टिप-ओवर स्विच हीटर को स्विच ऑफ कर देता है। अगर आपके पास छोटे बच्चे या पेट्स हैं तो इस तरह के सेफ्टी फ़ीचर्स बड़े ही काम के होते हैं।
- हीटर की बॉडी ऐसे मटीरीयल की बनी होनी चाहिए जो inflammable हो यानी जिसमें आग न लग सके।
- हीटर के सामने एक अच्छे मटीरीयल से बनी ग्रिल होनी चाहिए, ताकि गलती से भी हीटिंग एलेमेंट को छूने से बचा जा सके।
- ये ISI मार्क वाला होना चाहिए।
रूम हीटर से जुड़े पोटेंशियल हेल्थ रिस्क
ड्राई एयर और स्किन इरिटेशन
इंफ्रारेड हीटर्स और फैन हीटर्स कमरे की हवा में मौजूद मॉइस्चर(नमी) की मात्रा को कम करता है या समाप्त कर देता है। लिहाज़ा
- ये हमारी त्वचा को भी ड्राई और खुरदुरी बना देता है। अगर आपकी त्वचा संवेदनशील है, तो यह लाल पड़ सकती है और खुजली हो सकती है।✓1Reputed Health Website, thehealthsite.com, Go to source
- इसके अलावा नाक बंद (nasal blockage) हो जाती है ✓2Reputed Health Website, thehealthline.com, Go to source✓3Reputed Website, thespruce.com, Go to source
- कमरे में मौजूद हवा के ड्राई होने से नाक या गले या आँखों में सूखापन हो जाता है।
उपाय:
- रूम के वातावरण में मॉइस्चर लेवल को मेंटेंन करने के लिए ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- रूम में किसी भी जगह एक छोटे बर्तन में पानी भर कर रखें। मेक श्योर करें कि यह पानी हीटर या बिजली के स्विच से सेफ डिस्टेंस पर रखा हो।
- आप पर्याप्त लिक्विड डाइट लें या पानी पियें और हाँ, अपनी त्वचा पर मॉइस्चराइजर क्रीम ज़रूर लगाएँ।
एलर्जी की समस्या
रूम हीटर, ख़ास तौर पर फिल्टर वाले हीटर्स में, समय के साथ-साथ डस्ट और एलर्जी पैदा करने वाले कण जमा हो जाते हैं। मैन्युफ़ैक्चरर्स द्वारा रिकमेंडेड फ़िल्टर की सफाई या रिप्लेसमेंट के साथ-साथ रेगुलर मेंटेनेस से इस समस्या को कम किया जा सकता है। आपको ऐसी फ़ीचर्स वाले हीटर चुनना चाहिए जो एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों को रोकते हैं, घर के अंदर स्वस्थ वातावरण बनाए रखने में भी योगदान देते हैं।
ऑक्सीजन बर्निंग और ह्यूमिडिटी लेवल
ऐसा पाया गया है कि इंफ्रारेड और कुछ फ़ैन हीटर्स, कमरे की हवा में मौजूद ऑक्सिजन को बर्न करते हैं जिसकी वजह से आपको थोड़ा सफ़ोकशन फील हो सकता है।
फ़ैन हीटर और इंफ़्रारेड हीटर, कमरे की वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन को बर्न कर देते हैं, लिहाज़ा ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। जिसके कारण
- नींद न आना,
- जी मिचलाना और
- सर दर्द जैसे लक्षण उभर सकते हैं।
इसका उपाय है कि आप कमरे को पूरी तरह बंद न करें, बल्कि खिड़की को थोड़ा खुली रखें ताकि ताजी हवा का आवागमन होता रहे और ऑक्सीजन का स्तर बना रहे।
ऑक्सिजन बर्निंग और ह्यूमिडिटी में कमी की यह समस्या, ऑयल फ़िल्ड हीटर्स में नहीं होती और उन फ़ैन हीटर में भी नहीं होती जिनमे PTC हीटिंग एलेमेंट लगे होते है।
आँखों को नुक़सान
इंफ्रारेड हीटर आँखो को नुक़सान पहुँचा सकते हैं इसलिए इनके हीटिंग एलीमेंट्स को एकटक लगातार नहीं देखना चाहिए।✓4Reputed Research Organisation, HPS, Go to source✓5Reputed Government Organisation, PubMed, Go to source✓6Reputed Website, Ducoterra, Go to source
कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
जब गैस वाले हीटर (एलपीजी हीटर) का उपयोग किया जाता है, तो वे बाहरी हवा की तुलना में घर में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) के स्तर को बढ़ा देते हैं। बहुत कम समय के लिए NO2 की कम मात्रा भी हमारे श्वसन तंत्र के लिए समस्या बन सकती है।
CO की अधिक मात्रा से चक्कर आना, सिर दर्द, थकान हो सकता है।
एलपीजी हीटर का उपयोग करने वाले घरों में रहने वाले बच्चों में अस्थमा की घटनाएं अधिक होती हैं और खांसी, छींकने, घरघराहट और फेफड़ों की क्षति।
इन हीटरों से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड विशेष रूप से छोटे बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित करती है। एलपीजी गैस हीटर यहां एक नई अवधारणा है, लेकिन वातावरण में हानिकारक गैसों और रसायनों को छोड़ने के लिए जाना जाता है।✓7Reputed Government Organisation , EPA, Go to source
इससे बचने के लिए आप कमरे को पूरी तरह बंद न करें, बल्कि खिड़की को थोड़ा खुली रखें और एग्जॉस्ट फ़ैन का इस्तेमाल करें ताकि ताजी हवा का आवागमन होता रहे और ऑक्सीजन का स्तर बना रहे।
तापमान में उतार-चढ़ाव से परेशानी
गर्म कमरे में बैठना हमें अच्छा लगता है लेकिन जैसे ही इससे बाहर निकलते हैं, तो अचानक ठंड लग जाती है। यानी हम अपने शरीर में तापमान का अचानक उतार-चढ़ाव महसूस करते हैं। तापमान में बार-बार होने वाला यह अचानक परिवर्तन हमारे शरीर की इम्यून सिस्टम को कमजोर बना सकता है, जिससे हम बीमार हो सकते हैं।
सेहत के लिहाज़ से सुरक्षित और फ़ायदेमंद रूम हीटर्स
ऑयल फ़िल्ड रूम हीटर्स को सेहत के लिहाज़ से सुरक्षित और फ़ायदेमंद रूम हीटर्स माना जाता है।
इन हीटर्स में इसमें न ही फ़ैन होता है और न ही छड़ (rod) होती है बल्कि डायथर्मिक तेल भरा होता है। इसमें मेटल के खोखले कॉलम या पाइप होते हैं, जो एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं- इन्हें फ़िन्स कहा जाता है। इनमे एक ख़ास तरह का ऑयल भरा होता है जो कि सील पैक होता है। ये गर्म ऑयल सभी फ़िन्स में फ़्लो होता है जिसके कारण कमरे में गर्माहट फैलती है।
- ये कमरे में मौजूद हवा से नमी की मात्रा को कम नहीं करते लिहाज़ा सेहत से जुड़ी कोई दिक़्क़त पैदा नहीं होती।
- इसमें हीटिंग एलेमेंट नहीं होता बल्कि तेल के गर्म होने से हीटिंग होती है लिहाज़ा कमरे की वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन बर्न नहीं होती।
- चूँकि ऑयल फ़िल्ड रूम हीटर्स, कमरे में मौजूद हवा से नमी की मात्रा को कम नहीं करते, लिहाज़ा ये हमारी त्वचा को भी ड्राई और खुरदुरी होने से बचाते हैं।
- नाक या गले या आँखों में सूखापन की समस्या से छुटकारा मिलता है।
- ये बच्चों और पेट्स के लिए सुरक्षित हैं क्योंकि तेल से भरे रूम हीटर की सतह गर्म नहीं होगी।
- अन्य हीटरों की तुलना में ज़्यादा सालों तक चलते हैं।
नोट: इसमें तेल भरने की ज़रूरत नहीं होती। भरा हुआ तेल बार-बार गर्म होता है और इस्तेमाल होता रहता है।
दोस्तों उम्मीद है कि रूम हीटर के फायदे और नुकसान को लेकर आपके मन में उठने वाले प्रश्नों का जवाब मिल गया होगा। इसके अलावा और कोई सवाल है तो आप कमेंट में पूछ सकते हैं।
रूम हीटर के फायदे और नुकसान – सवाल जवाब
क्या रूम हीटर हानिकारक है?
दरअसल, रूम हीटर का इस्तेमाल हानिकारक नहीं है बशर्ते उनका सावधानी से इस्तेमाल किया जाये।
क्या रात भर हीटर छोड़ना ठीक है?
अगर हीटर को पूरी रात इस्तेमाल कर सकते हैं बशर्ते आपके हीटर में थर्मोस्टेट लगा हो। थर्मोस्टेट हीटर को एक ख़ास तापमान तक गर्म करता है और फिर अपने आप बंद कर देता है। और रूम का तापमान घटने पर वापस हीटर को चालू कर देता है। हीटर को अपने बिस्तर से पर्याप्त दूर रखें।
बंद कमरे में हीटर चलाने से क्या होता है?
एकदम बंद कमरे में हीटर नहीं चलाना चाहिए ख़ासकर अगर आप रेडिएंट और फ़ैन हीटर का इस्तेमाल कर रहे हों। रेडिएंट और फ़ैन हीटर कमरे की ऑक्सिजन को बर्न करते हैं और साथ ही नमी को भी कम करते हैं लिहाज़ा घुटन की समस्या हो सकती है।
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Sources
- 1Reputed Health Website, thehealthsite.com, Go to source
- 2Reputed Health Website, thehealthline.com, Go to source
- 3Reputed Website, thespruce.com, Go to source
- 4Reputed Research Organisation, HPS, Go to source
- 5Reputed Government Organisation, PubMed, Go to source
- 6Reputed Website, Ducoterra, Go to source
- 7Reputed Government Organisation , EPA, Go to source